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बंद दरवाज़े के पीछे – मेरी मालिश वाली भाभी की कहानी
बंद दरवाज़े के पीछे – मेरी मालिश वाली भाभी की कहानी
यह कहानी है उस शाम की जब सबकुछ अचानक से बदल गया...
भाभी हमेशा से ही बहुत ध्यान रखती थीं। लेकिन उस दिन कुछ अलग था। उन्होंने एक लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें उनका शरीर जैसे आग में लिपटा हो। उनकी कमर की लहराती रेखा, पसीने से चमकती पीठ, और उनके गुलाबी होंठ... सब कुछ एक जलती हुई चाहत में बदल गया था।
मैं कमरे में था और थक कर पलंग पर लेटा हुआ था। भाभी धीरे-धीरे अंदर आईं, उनके हाथ में सरसों का तेल था। उन्होंने मुझे देखकर मुस्कराते हुए कहा – "आओ, मैं तुम्हारे कंधे दबा दूँ? थके हुए लग रहे हो..."
तेल की खुशबू में एक नशीला आकर्षण था। उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरी गर्दन के पीछे धीरे से दबाव देना शुरू किया। उनकी सांसें मेरी गर्दन को छू रही थीं। हर स्पर्श में एक कंपन था, जैसे मेरी रूह तक पहुंच रहा हो।
उनकी हथेलियाँ नर्म और गीली थीं। जब वो मेरी पीठ पर तेल मलने लगीं, तो उनकी उंगलियों के दबाव में एक अलग ही गहराई थी। उन्होंने धीमे-धीमे पीठ से कमर तक मालिश शुरू की, और जब वो मेरी रीढ़ के पास पहुँचीं, तो उनके नाखूनों की हल्की खरोंच से मेरे पूरे शरीर में एक झुरझुरी दौड़ गई।
कमरे की रौशनी मद्धम थी, एक मोमबत्ती कोने में जल रही थी जिसकी लौ उनके चेहरे पर एक मोहक चमक बिखेर रही थी। उनके चेहरे पर गहराती आँखें और होठों की नमी मुझे पागल बना रही थी।
“बहुत टाइट लग रही है तुम्हारी बॉडी…” भाभी ने फुसफुसा कर कहा। उनके बोलने का अंदाज़ ऐसा था जैसे वो शब्दों से मेरी त्वचा को छू रही हों।
मैंने उनकी आँखों में देखा, और उन्होंने मेरी आँखों को एक टक घूरते हुए मेरी शर्ट के बटन खोल दिए। उनका हाथ मेरी छाती पर गया, और उन्होंने वहाँ हल्के-हल्के गोल घुमाते हुए तेल लगाया।
मैंने बिना कुछ कहे उन्हें अपनी ओर खींच लिया, उनका शरीर मेरे सीने से चिपक गया। मैंने उनके कान के पास जाकर कहा – “आपकी खुशबू पागल कर देती है…”
भाभी हँसीं, एक ऐसी हँसी जिसमें शरारत भी थी और ललचाहट भी। उन्होंने मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और एक लंबी सांस छोड़ी। उस सांस की गर्मी मेरे पूरे शरीर में समा गई।
उन्होंने साड़ी का पल्लू अपने हाथ में लिया और उसे पीछे कर दिया। अब उनका शरीर पूरी तरह मेरे सामने था — एक दमकती त्वचा, घुमावदार बदन और आँखों में आग।
“आज कुछ अलग महसूस हो रहा है,” उन्होंने कहा।
मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया। उनकी आँखें बंद थीं और होंठ आधे खुले। उन्होंने मेरे बालों में उंगलियाँ चलाईं और मेरी कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा।
हर बार जब मैं उनके कान के पास कुछ कहता, वो हल्के से सिसकतीं — “आह... और पास आओ...”
उनकी साँसें तेज हो चुकी थीं, और उनकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर लकीरें खींच रही थीं। मैंने उनके पेट पर हल्की-हल्की किस की, और उन्होंने मेरे बालों को कस कर पकड़ा।
उन्होंने कहा – “अब मत रुको...” और उस एक वाक्य में जो आदेश था, वो मुझे और दीवाना बना गया।
हम दोनों पूरी तरह एक-दूसरे में खो चुके थे। उनकी आवाजें, उनका शरीर, उनकी आँखों की प्यास — सब कुछ मुझे जकड़ रहा था।
वो हर हल्के स्पर्श पर कराहतीं, कभी हल्की, कभी तेज़।
“तुम्हारे बिना अब अधूरी हूँ,” उन्होंने मेरे सीने पर सर रखते हुए कहा।
रात धीरे-धीरे बीत रही थी, लेकिन हमारी कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी। हमने घंटों एक-दूसरे के शरीर में खुद को ढूंढा। वो हर बार मुझे नए अंदाज़ में चूमतीं, मेरी गर्दन से लेकर मेरे पेट तक, और फिर मुस्कुराकर कहतीं – “तुम्हारी हर जगह मेरी है।”
और मैं... मैं सिर्फ उन्हें महसूस कर रहा था, उनका साथ, उनकी आवाज़ें, उनका जिस्म, और उनका प्यार।
सुबह हुई, लेकिन वो रात अब तक मेरे दिल में जिंदा है।
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